Thursday, January 14, 2010

एक फूल

एक फूल खिला मधुवन में, बसंत की रुत में.
कोमल सा कमसिन सा, बढने लगा सावन में.

रुत बदली और पतझड़ आया, फूल नें मधुवन को उजड़ा पाया.
बिन साथ बिन जीवन पाया.

No comments:

Post a Comment