Saturday, January 17, 2009

कविता

कविता के माध्यम से भावो की व्यक्ती हो जाती है
जो बात जुब्बान नही कह पाती कलम कह जाती है.

कैसे  बाँध सकतें हैं उन्हें शब्दों मैं जो हर पल बदल जाते हैं,
एक कविता बाँधती नही, खोल देती हैं द्वार कल्पना के,
उन कल्पनाओ के सागर में भावनाओ को कई लहरें मिल जाती हैं
जीवन से भरी लहरें हीं समझ पातीं हैं इस उलझन को.

तब यह भाव कविता के माध्यम से सागर को समझने लगते हैं।
ये कविता को एक नया जीवन दे देते हैं।

4 comments:

  1. I agree completely, very well said!!

    -Caio

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  2. i am suprised ki tum itne gehrai tak shabdon mein jaogi ,.......... aur kavita per bhi kavita likh dogi really nice keep

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  3. Thanks allot Rajesh, jada gehraye nahi hain. ;)

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