कविता के माध्यम से भावो की व्यक्ती हो जाती है
जो बात जुब्बान नही कह पाती कलम कह जाती है.
कैसे बाँध सकतें हैं उन्हें शब्दों मैं जो हर पल बदल जाते हैं,
एक कविता बाँधती नही, खोल देती हैं द्वार कल्पना के,
उन कल्पनाओ के सागर में भावनाओ को कई लहरें मिल जाती हैं
जीवन से भरी लहरें हीं समझ पातीं हैं इस उलझन को.
तब यह भाव कविता के माध्यम से सागर को समझने लगते हैं।
ये कविता को एक नया जीवन दे देते हैं।
Dziennik z podróży
16 years ago